Korba
Korba is a city in Korba district in the state of Chhattisgarh, India. It is also the headquarters of the district.
Description
Korba is named after the hill Korwa tribe here. It is also known as the powerhouse of Chhattisgarh (Urjanagari), as Chhattisgarh State Power Generation Company (erstwhile Chhattisgarh State Electricity Board) and NTPC besides the power plants of many private companies operate here. It is also home to Asia’s largest opencast mine, the Gevra Mines, one of the many underground and opencast mines operated by South Eastern Coal Fields (SECL) in the Korba coalfield. Apart from this, India’s largest aluminum plant Bharat Aluminum Company (BALCO) is located here, which was handed over to private hands during the NDA regime.
Geography
Korba is located at 22°21′N 82°41′E / 22.35°N 82.68°E. The average elevation here is 252 m (826 ft).
economy
Korba’s economy is very good, here 45 percent income is received from industry and 50 percent agriculture and 5 percent other means, here water resources are a good source for agriculture, along with this, canals have come out for irrigation.
colony
Korba city is almost full of colonies, here NTPC BALCO is inhabited by HTPPSECL colonies, as well as the mutual love and harmony of the colonies is also seen.
major attractions
Chaiturgarh
Chaiturgarh is also known as Lafagarh. 3060 m near Pali, 70 km from Korba district headquarter. It is situated on a high hill. It was built by King Prithvi Dev. It looks like a fort. It has three entrances. The names of these entrances are Menaka, Humkara and Simhadwar.
The area of Chaiturgarh is 5 sq km and it has five ponds. Out of these five ponds, three are evergreen, which are filled with water throughout the year. There is Mahishasur Mardini temple in Chaiturgarh. The statue of Mahishasura Mardini, who has twelve hands, has been installed in the womb of the temple. Special worship is organized here during Navratras. The local residents participate in this puja with great devotion.
There is also a beautiful Shankar cave near the temple, which is about 25 feet long. The entrance to the cave is very small. That’s why tourists have to struggle a lot to enter the cave. Apart from visiting the temple and the cave, tourists can also glimpse glimpses of its natural beauty. He can see wild animals and birds here.
Kosgaigarh
Kosgaigarh situated on the top of Futka mountain on Korba-Katghora road is very beautiful. It is 1570 m above sea level. Located at an altitude of. There is a beautiful fort in Kosagaigarh. Its entrance is like a cave and it is so narrow that only one person can pass through it at a time. There is a dense forest around the fort, in which many species of wild animals and birds can be seen. Apart from the fort, tourists can also see many historical remains in Kosgaigarh. The temple of Mata Kosgai located here has its own glory, the roof of the temple has not been made according to the wishes of the mother.
Madwarani
Madwarani temple is located on Korba-Champa road, 22 km away from Korba district headquarter. This temple is built on a peak and is dedicated to Madavarani Devi. According to the local resident, in September-October during Navratras, tide grows here under the Kalmi tree. A grand fair is organized here by the local residents during Navratras. Local residents as well as tourists participate in this fair with great enthusiasm.
Sarvamangala Temple
The Sarvamangala temple dedicated to Goddess Durga, adjacent to Korba city, is one of the main temples of Korba. It was built by the ancestors of Zamindar Rajeshwar Dayal of Korba. Trilokinath Temple, Kali Temple and Jyoti Kalash Bhawan are near Sarvamangala Temple. Tourists can also visit these temples. There is also a cave near these temples which passes through the bottom of the river. It is said that Rani Dhanraj Kunwar Devi used this cave to reach the temples.
traffic
railroad track
Rail routes are a better way to reach Korba. Express trains include Korba-Yesvantpur (Wainganga Express), Korba-Amritsar (Chhattisgarh Express), Korba (Bilaspur)-Nagpur (Sivanatha Express) and Korba-Thiruvananthapuram (Cochin Express) apart from many local trains that run from Bilaspur to Korba. Due to its separation from the Howrah-Mumbai route, many trains running on the Howrah-Mumbai route are given stoppages at the nearest railway station Champa for the passengers going to Korba.
air way
There is daily air service from Delhi, Prayagraj, Jabalpur and Khajuraho to Bilaspur airport. Tourists can easily reach Korba by road from Bilaspur. Apart from this, there is also an airstrip of Balco near Korba, where small aircraft can land easily.
road way
Korba is well connected by road to major cities of Chhattisgarh.
कोरबा (Korba)
कोरबा (Korba) भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के कोरबा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2]
विवरण
कोरबा का नाम यहां की जनजाति पहाड़ी कोरवा के आधार पर रखा गया है। यह छत्तीसगढ़ की ऊर्जाधानी (ऊर्जानगरी) भी कहलाती है, क्योंकि यहां छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी (पूर्ववर्ती छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल) और एनटीपीसी के अलावा कई निजी कंपनियों के विद्युत संयंत्र संचालित हैं। यहां की पहचान एशिया के सबसे बड़े खुले कोयला खदान (ओपन कास्ट माइन) गेवरा माइंस की वजह से भी है, जो साउथ ईस्टर्न कोल फिल्ड्स (एसईसीएल) द्वारा कोरबा कोयला क्षेत्र में संचालित कई अंडरग्राउंड और ओपनकास्ट माइन्स में से एक है। इसके अलावा यहां भारत का सबसे बड़ा एल्युमिनियम संयंत्र भारत एल्युमिनियम कंपनी (बालको) स्थित है, जिसे एनडीए शासनकाल में निजी हाथों में सौंप दिया गया था।
भूगोल
कोरबा की स्थिति 22°21′N 82°41′E / 22.35°N 82.68°E पर है। यहाँ की औसत ऊँचाई २५२ मीटर (826 फीट) है।
अर्थव्यवस्था
कोरबा का अर्थव्यवस्था बहुत अच्छी है यहाँ ४५ प्रतिशत उद्द्योग से और ५० प्रतिशत कृषि और ५ प्रतिशत अन्य साधनों से आय प्राप्त होती है यहाँ पर कृषि के लिए जल संसाधन अच्छी स्रोत है इसके साथ ही सिंचाई के लिए नहरे निकली गयी है
कालोनी
कोरबा शहर लगभग कालोनियों से भरा हुआ है यहाँ एन टी पी सी बालको एच टी पी पी एस ई सी एल की कालोनियों से बसा हुआ है साथ ही कालोनियों का परस्पर प्रेम सदभाव वाले माहौल देखने को भी मिलता है
प्रमुख आकर्षण
चैतुरगढ़
चैतुरगढ़ को लाफागढ़ के नाम से भी जाना जाता है। कोरबा जिला मुख्यालय से 70 कि॰मी॰ दूर पाली के पास 3060 मी. ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इसका निर्माण राजा पृथ्वी देव ने कराया था। यह एक किले जैसा लगता है। इसमें तीन प्रवेश द्वार हैं। इन प्रवेश द्वारों के नाम मेनका, हुमकारा और सिम्हाद्वार हैं।
चैतुरगढ़ का क्षेत्रफल 5 वर्ग कि॰मी॰ है और इसमें पांच तालाब हैं। इन पांच तालाबों में तीन तालाब सदाबहार हैं, जो पूरे वर्ष जल से भरे होते हैं। चैतुरगढ़ में महिषासुर मर्दिनी मन्दिर है। मन्दिर के गर्भ में महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा स्थापित की गई है, जिसके बारह हाथ हैं। नवरात्रों में यहां पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। स्थानीय निवासी इस पूजा में बड़ी श्रद्धा से भाग लेते हैं।
मन्दिर के पास खूबसूरत शंकर गुफा भी है, जो लगभग 25 फीट लंबी है। गुफा का प्रवेश द्वार बहुत छोटा है। इसलिए पर्यटकों को गुफा में प्रवेश करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। मन्दिर और गुफा देखने के अलावा पर्यटक इसकी प्राकृतिक सुन्दरता की झलकियां भी देख सकते हैं। वह यहां पर पर वन्य पशु-पक्षियों को देख सकते हैं।
कोसगाईगढ़
कोरबा-कटघोरा रोड पर फुटका पहाड़ की चोटी पर स्थित कोसगाईगढ़ बहुत खूबसूरत है। यह समुद्र तल से 1570 मी. की ऊंचाई पर स्थित है। कोसागाईगढ़ में एक खूबसूरत किला है। इसका प्रवेश द्वार एक गुफा की भांति है और यह इतना संकरा है कि इसमें से एक बार में केवल एक व्यक्ति गुजर सकता है। किले के चारों तरफ घना जंगल है, जिसमें अनेक प्रजाति के वन्य पशु-पक्षियों को देखा जा सकता है। कोसगाईगढ़ में पर्यटक किले के अलावा भी अनेक ऐतिहासिक अवशेषों देख सकते हैं। यहां स्थित माता कोसगाई के मंदिर की अपनी महिमा है, मंदिर में माता की इच्छानुरुप छत नहीं बनाया गया है।
मड़वारानी
कोरबा जिला मुख्यालय से 22 कि॰मी॰ की दूर कोरबा-चांपा रोड पर मड़वारानी मन्दिर स्थित है। यह मन्दिर एक चोटी पर बना हुआ है और मदवरानी देवी को समर्पित है। स्थानीय निवासी के अनुसार सितम्बर-अक्टूबर में नवरात्रों में यहां पर कल्मी के वृक्ष के नीचे ज्वार उगती है। नवरात्रों में यहां पर स्थानीय निवासियों द्वारा भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में स्थानीय निवासियों के साथ पर्यटक भी बड़े उत्साह से भाग लेते हैं।
सर्वमंगला मंदिर
कोरबा शहर से लगा हुआ दुर्गा देवी को समर्पित सर्वमंगला मन्दिर कोरबा के प्रमुख मन्दिरों में से एक है। इसका निर्माण कोरबा के जमींदर राजेश्वर दयाल के पूर्वजों ने कराया था। सर्वमंगला मन्दिर के पास त्रिलोकीनाथ मन्दिर, काली मन्दिर और ज्योति कलश भवन हैं। पर्यटक इन मन्दिरों के दर्शन भी कर सकते हैं। इन मन्दिरों के पास एक गुफा भी जो नदी के नीचे से होकर गुजरती है। कहा जाता है कि रानी धनराज कुंवर देवी इस गुफा का प्रयोग मन्दिरों तक जाने के लिए किया करती थी।
आवागमन
रेल मार्ग
कोरबा तक जाने के लिए रेल मार्ग एक बेहतर जरिया हैं। एक्सप्रेस गाड़ियों में कोरबा-यशवंतपुर (वेनगंगा एक्सप्रेस), कोरबा-अमृतसर (छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस), कोरबा (बिलासपुर)-नागपुर (शिवनाथ एक्सप्रेस) और कोरबा-तिरुअनंतपुरम (कोचिन एक्सप्रेस) के अलावा कई लोकल ट्रेने बिलासपुर से कोरबा के लिए चलती हैं। हावड़ा-मुंबई रुट से अलग होने की वजह से कोरबा जाने वाले यात्रियों के लिए हावड़ा-मुंबई रूट पर चलने वाली कई ट्रेनों को निकटस्थ रेलवे स्टेशन चांपा में स्टापेज दिया जाता है।
वायु मार्ग
दिल्ली, प्रयागराज, जबलपुर और खजुराहो से बिलासपुर हवाई अड्डे तक प्रतिदिन वायु सेवा है। बिलासपुर से पर्यटक सड़क से आसानी से कोरबा तक पहुंच सकते हैं। इसके अलावा कोरबा के करीब बालको की हवाई पट्टी भी है, जहां छोटे विमान आसानी से उतर सकते हैं।
सड़क मार्ग
कोरबा सड़क मार्ग द्वारा छत्तीसगढ़ के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।