मानव विकास सूचकांक

मानव विकास सूचकांक (HDI) जीवन प्रत्याशा, शिक्षा, और आय सूचकांकों का एक संयुक्त सांख्यिकी  सूचकांक है जिसे मानव विकास के तीन आधारों द्वारा तैयार किया जाता है । इसे अर्थशास्त्री महबूब-उल-हक द्वारा बनाया गया था, जिसका 1990 में अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन द्वारा समर्थन किया गया, और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा प्रकाशित किया गया । UNDP ने मानव विकास सूचकांक की गणना के लिए एक नई विधि की शुरुआत की है। निम्नलिखित तीन सूचकांक इस्तेमाल किये जा रहे हैं:

  1. जीवन प्रत्याशा सूचकांक (लम्बा व स्वस्थ जीवन)
  2. शिक्षा सूचकांक (शिक्षा का स्तर)
  3. आय सूचकांक (जीवन स्तर)

 

अपने 2010 की मानव विकास विवरण में, UNDP ने मानव विकास सूचकांक की गणना के लिए एक नई विधि का उपयोग शुरू किया है । निम्नलिखित तीन सूचकांकों इस्तेमाल किये जा रहे हैं:

  1. जीवन प्रत्याशा सूचकांक
  2. शिक्षा सूचकांक: इसमें शामिल है :
  3. विद्यालय सूचकांक के औसत वर्ष
  4. विद्यालय सूचकांक के प्रत्याशित वर्ष
  5. आय सूचकांक

2014 में जेंडर डेवलपमेंट इंडेक्स (GDI) की शुरुआत की गई थी।

 

निष्कर्ष :

  • सभी क्षेत्रों तथा मानव विकास समूहों में HDI दर में वृद्धि हो रही है लेकिन इन दरों में काफी भिन्नता देखी गई है।
  • दक्षिण एशिया 1990–2017 की दौरान 45.3 प्रतिशत की दर से सबसे तेज़ी से विकास करने वाला क्षेत्र था, इसके बाद पूर्वी एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र तथा उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्र का स्थान आता है जिनकी विकास दर इन्हीं वर्षों के दौरान क्रमशः 41.8 प्रतिशत एवं 34.9 प्रतिशत थी।
  • लेकिन पिछले एक दशक में लगभग सभी क्षेत्रों में HDI विकास की दर भी धीमी हुई है, इसका कारण 2008-2009 के वैश्विक खाद्य, वित्तीय तथा आर्थिक संकट को माना जाता है।
  • वैश्विक HDI रैंकिंग में शीर्ष पाँच देश नॉर्वे (0.953), स्विट्ज़रलैंड (0.944), ऑस्ट्रेलिया (0.939), आयरलैंड (0.938) और जर्मनी (0.936) हैं।
  • रैंकिंग में निचले में स्थान हासिल करने वाले देश- बुरुंडी (0.417), चाड (0.404), दक्षिण सूडान (0.388), मध्य अफ्रीकी गणराज्य (0.367) और नाइजर (0.354) हैं।
  • 2012 और 2017 के बीच सबसे अधिक वृद्धि आयरलैंड की रैंकिंग में हुई है, जो 13 स्थान ऊपर पहुँच गया है।

 

चुनौतियाँ : 

मानव विकास में असमानता- प्रगति के लिये गंभीर चुनौती

मानव विकास में असमानता का होना लैंगिक अंतराल, समूह की पहचान, आय में असमानता एवं स्थान के कारण शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार, साख और प्राकृतिक संसाधनों तक पहुँच में असमान अवसर को दर्शाता है।

  • यह उग्रवाद को बढ़ावा दे सकता है तथा समावेशी एवं सतत् विकास के पक्ष को दुर्बल कर सकता है।
  • यह सामाजिक सामंजस्य तथा संस्थानों एवं नीतियों की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
  • आय में असमानता, शिक्षा एवं जीवन प्रत्याशा के बाद समग्र असमानता में सबसे अधिक योगदान देती है।
  • असमानता का लेखा-जोखा तैयार करते समय जब वैश्विक HDI का मान 0.728 से गिरकर 0.582 हो जाता है, तो यह उच्च मानव विकास श्रेणी से मध्यम मानव विकास श्रेणी तक की गिरावट को दर्शाता है।
  • महिलाओं (0.705) का औसत HDI मान पुरुषों (0.749) की तुलना में 5.9 प्रतिशत कम है।
  • कई देशों में अधिकांशतः असमानता का कारण महिलाओं की कम आय तथा शिक्षा प्राप्ति है। उल्लेखनीय है कि यह असमानता निम्न मानव विकास वाले देशों में व्यापक है जहाँ पुरुषों की तुलना में महिलाओं का HDI मान पुरुषों की तुलना में 13.8 प्रतिशत कम है।
  • उच्च मानव विकास वाले देशों में जीवन प्रत्याशा 79.5 वर्ष है जबकि निम्न मानव विकास वाले देशों में जीवन प्रत्याशा औसतन 60.8 वर्ष है।

 

मात्रा की अपेक्षा गुणवत्ता पर अधिक ध्यान :

  • मानव विकास में उपलब्धियों को न केवल मात्रा के संदर्भ में बल्कि गुणवत्ता के संदर्भ में भी व्यक्त किया जाना चाहिये, क्योंकि किसी निरपेक्ष संख्या में वृद्धि निश्चित रूप से गुणवत्ता में वृद्धि को संदर्भित नहीं करती है।
  • 1990 के दशक के बाद से स्कूल में औसत वर्षों की संख्या में भारी वृद्धि के बावजूद यह बेहतर क्षमताओं के रूप में बहुत कम मालूम पड़ता है। यह विषमता कम मानव विकास वाले देशों में तीक्ष्ण है।

 

पर्यावरणीय अवक्रमण (Environmental Degradation) :

  • पर्यावरणीय अवक्रमण, चरम मौसमी घटनाओं के कारण भोजन एवं जल की आपूर्ति में कमी से लेकर आजीविका तथा जीवन की क्षति जैसे विकास की कई मामलों से जुड़ा हुआ है।
  • जलवायु परिवर्तन में उच्च HDI वाले देशों का ज्यादा बड़ा योगदान है।

HDI में भारत :

  • भारत ने 2018 में HDI में 130वाँ स्थान प्राप्त कर 2017 की तुलना में एक स्थान की छलांग लगाई है। यहाँ जन्म के समय औसत जीवन प्रत्याशा 68.8 वर्ष है। 6,353 रुपए की सकल राष्ट्रीय आय (Gross National Income-GNI) के साथ यहाँ स्कूली शिक्षा में अपेक्षित वर्ष 6.4 वर्ष के औसत के साथ 12.3 वर्ष हैं।
  • 1990 में HDI की शुरुआत के समय से 2018 तक भारत का HDI मान 0.427 से 0.640 तक पहुँच गया है अर्थात् HDI मान में 50% का सकारात्मक परिवर्तन हुआ है।
  • वर्ष 2000 से 2010 के दशक में वार्षिक विकास की उच्चतम दर 1.64% थी।

 

असमानता समायोजित मानव विकास सूचकांक (Inequality adjusted Human Development Index-IHDI), में इसका मान 0.640 से घटकर 0.468 पर पहुँच गया है जो 26.8% की कमी को दर्शाता है। यहाँ असमानता की माप लैंगिक असमानता, शिक्षा, आय आदि के क्षेत्र में की जाती है।

 

लैंगिक विकास सूचकांक (Gender Development Index-GDI) :

महिला तथा पुरुष HDI मानों का अनुपात-

  • HDI मानों में विचलन के आधार पर देशों को 5 समूहों में विभाजित किया गया है, समूह 1, 2.5% से कम के विचलन के साथ उच्चतम समानता को दर्शाता है जबकि समूह 5, 10% से अधिक के विचलन के साथ सबसे कम समानता को दर्शाता है।
  • भारत 0.841 GDI मान के साथ 5वें समूह में है, जो देश की महिलाओं में पाई जाने वाली स्पष्ट विषमता को दर्शाता है।
  • देश में महिलाओं की जीवन प्रत्याशा 70.4 वर्ष है जो कि पुरुषों की जीवन प्रत्याशा 67.3 वर्ष की तुलना में अधिक है।
  • महिलाओं की स्कूली शिक्षा के लिये अपेक्षित वर्ष 12.9 वर्ष है, जो पुरुषों के 11.9 वर्ष कि तुलना में अधिक हैं, लेकिन स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष में पुरुषों और महिलाओं के बीच बहुत अधिक विषमता है, जहाँ यह महिलाओं की औसत स्कूली शिक्षा लगभग तीन चौथाई घटकर 4.8 साल पर पहुँच गई हैं वही पुरुषों में यह एक तिहाई कम होकर 8.2 साल पर पहुँच गई।
  • अनुमानित प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय की माप महिलाओं एवं पुरुषों की मज़दूरी के अनुपात में की जाती है, सूचकांक आर्थिक रूप से सक्रिय महिला और पुरुष आबादी के सकल राष्ट्रीय आय में काफी असमानता को दर्शाता है। जहाँ महिलाओं की आय 2,722 रुपए से भी कम है वही पुरुषों की आय 9,889 रुपए है।

 

लैंगिक असमानता सूचकांक (Gender Inequality Index-GII) :

  • यह तीन आयामों में महिलाओं और पुरुषों के बीच उपलब्धियों में असमानता को दर्शाने वाली एक समग्र माप है: प्रजनन स्वास्थ्य, सशक्तीकरण तथा श्रम बाज़ार।
  • भारत के लिये GII का मान 0.524 है तथा यह 127 वें स्थान पर है।
  • भारत के लिये मातृ मृत्यु दर (Maternal Mortality Rate-MMR) वर्ष 2015 में प्रति लाख 174 मृत्यु का अनुमान है, जो भारत के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार 2014-16 की अवधि में घटकर 130 हो गई है।
  • भारत 2030 तक अपने SDG लक्ष्य 5.5 के अनुरूप MMR को 70 प्रति लाख तक कम करना चाहता है।
  • 2015-2020 की अवधि में किशोरियों में जन्म दर (1,000 महिलाओं पर 15-19 वर्ष की आयु की महिलाओं की संख्या) 23.1 अनुमानित है। इस मामले में भारत की स्थिति चीन को छोड़कर शेष पड़ोसी देशों की तुलना में बेहतर है।उल्लेखनीय है कि चीन में यह दर 6.4 है।
  • भारतीय संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्त्व केवल 11.6% जबकि रवांडा की संसद में 55% से अधिक महिलाएँ हैं। अतः भारत की विधायी प्रक्रिया में अधिक महिलाओं को शामिल कर इसे अधिक न्यायसंगत बनाने की तत्काल आवश्यकता हैं।
  • 63.5% पुरुषों की तुलना में केवल 39% महिलाएँ ही माध्यमिक स्तर तक (25 वर्ष या उससे अधिक) शिक्षित थीं, जो यह दर्शाता हैं की 2010-17 की अवधि के दौरान माध्यमिक शिक्षा तक महिलाओं की पहुँच बहुत ही कम थी।
  • श्रम बल भागीदारी यानी श्रम-आयु की आबादी (15 वर्ष और उससे अधिक आयु) का अनुपात जो श्रम बाज़ार में मौजूद है, वह या तो कार्यरत है या सक्रिय रूप से काम की तलाश में है, को श्रम-आयु की आबादी के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है, महिलाओं के लिये यह 27.2% तथा पुरुषों के लिये 78.8% है।

 

बहु-आयामी गरीबी सूचकांक (MPI) :

  • भारत का MPI 0.121 है
  • वर्ष 2015-16 में किये गए सर्वेक्षण के अनुसार, भारत की 27.5% आबादी बहु-आयामी गरीबी की गिरफ्त में थी।
  • 20–33 प्रतिशत के अभाव स्कोर के साथ 19.1% भारतीय आबादी को कई प्रकार की अभावों से ग्रस्त होने का जोखिम था।
  • 8.6% लोग गंभीर बहुआयामी गरीबी में जी रहे हैं।
  • भारत में 21.9% लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं, जिसमें 21.2% लोग एक दिन में 1.90 डॉलर से भी कम कमाते हैं।

 

मानव विकास के सूचक :

जनसंख्या प्रवृत्ति :

♦  वर्ष 2017 में भारत की अनुमानित जनसंख्या 1339.2 मिलियन थी तथा वर्ष 2030 तक इसके   1513 मिलियन तक पहुँचने का अनुमान है।

♦ 2005-10 के दौरान औसत वार्षिक विकास दर 1.5% थी तथा 2015-2020 के दौरान इसमें 1.1% की मामूली गिरावट दर्ज की गई।

♦ भारतीय आबादी का 33.6% हिस्सा शहरी क्षेत्रों में निवास करता है जिसमें अधिकांशतः हिस्सा युवा आबादी का है।

♦ इसमें से कार्यशील जनसंख्या (15-64 वर्ष) 886.9 मिलियन तथा 5 वर्ष से कम उम्र वालों की संख्या 119.8 मिलियन है।

♦ भारत की कुल आबादी में से केवल 80 मिलियन आबादी ही ऐसी है जिनकी उम्र 65 वर्ष से अधिक है।

♦ वर्ष 2015 में भारतीय आबादी की औसत उम्र 26.7 पर पहुँच गई, जिसके और अधिक घटने की उम्मीद है।

♦ वर्ष 2015-20 के दौरान भारत की कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate-TFR) 2.3 रहने की उम्मीद है।

 

स्वास्थ्य परिणाम :-

♦ 0-5 महीने की आयु के केवल 54.9% शिशुओं को स्तनपान कराया जाता है जो कि कम-से-कम 6 महीने की उम्र तक बच्चे के सर्वोत्तम विकास, वृद्धि तथा स्वास्थ्य के लिये बहुत आवश्यक है।

♦ एक वर्ष की उम्र वाले 9% बच्चों में DPT (डिप्थीरिया, पोलियो और टेटनस) तथा 12% बच्चों में खसरे का टीकाकरण नहीं हुआ है।

♦ 5 वर्ष से कम उम्र के 37.9% बच्चे ठिगनेपन (stunting) के या तो मध्यम या गंभीर स्वरुप से पीड़ित पाए गए।

♦ प्रति हज़ार जीवित बच्चों के जन्म पर शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate-IMR) 34.6 है, जिसे 2030 तक प्रति हज़ार 12 के स्तर पर लाया जाना है।

♦ 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में शिशु मृत्यु दर 43 प्रति हज़ार है तथा इसे 2030 तक 25 प्रति हज़ार पर लाया जाना है।

♦ भारत में महिला एवं पुरुष मृत्यु दर क्रमशः प्रति हज़ार 139 और 212 है।

♦ भारत एक उष्णकटिबंधीय देश है जिसमें जलवायु संबंधी महामारियों जैसे- डेंगू, मलेरिया आदि की संभावना लगातार बनी रहती है। 2016 में मलेरिया से पीड़ित होने वालों की संख्या 18.8 व्यक्ति प्रति हज़ार थी।

♦ WHO के अनुसार, भारत तपेदिक (TB) से सबसे अधिक ग्रस्त होने वाला देश बना हुआ है, जहाँ प्रति लाख जनसंख्या पर TB पीड़ितों की संख्या 211 है।

♦ भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद का 3.9% स्वास्थ्य पर खर्च करता है।

 

शिक्षा क्षेत्र में उपलब्धियाँ :

♦ 2006-2016 के दौरान 15 वर्ष तथा उससे अधिक उम्र के सभी वयस्कों के लिये साक्षरता दर 69.3% थी।

♦ इसी अवधि के दौरान युवा साक्षरता दर (15-24 वर्ष) महिलाओं के लिये 81.8% तथा पुरुषों के लिये 90% थी।

♦ 25 वर्ष तथा उससे अधिक आयु वर्ग के 51.6% लोग किसी-न-किसी रूप में माध्यमिक शिक्षा के स्तर तक शिक्षित थे।

♦ प्री-प्राइमरी में सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio-GER) प्री-प्राइमरी स्कूल की उम्र के बच्चों की कुल संख्या का 13% था, जो 2012-17 के दौरान भारत में स्कूली शिक्षा के शुरुआती वर्षों में प्रवेश की कमी तथा इसको दिये जा रहे महत्त्व के अभाव को दर्शाता हैं।

♦ प्राथमिक विद्यालय के लिये GER पूर्व-प्राथमिक विद्यालय की उम्र वाले बच्चों की संख्या का 115% था, जो स्कूलों में प्रोन्नति की कमी तथा ओवर एडमिशन को दर्शाता है।

♦ माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने योग्य आबादी में से 75% का नामांकन माध्यमिक शिक्षा के लिये किया जाता है, जबकि तृतीयक शिक्षा के लिये केवल 27% छात्र ही पंजीकृत किये जाते हैं।

♦ 2007-2016 के दौरान भारत में प्राथमिक स्कूल ड्रॉपआउट (dropout) अर्थात् बीच में ही स्कूल छोड़ने की दर 9.8% थी।

♦ 2015-16 के दौरान निम्न माध्यमिक सामान्य शिक्षा की अंतिम कक्षा तक पहुँचने वाले छात्रों की दर 97% थी।

♦ सरकार द्वारा शिक्षा पर किया जाने वाला व्यय कुल GDP का 3.8% है।

 

राष्ट्रीय आय एवं संसाधनों की संरचना :-

♦ 2017 में भारत का कुल सकल घरेलू उत्पाद अर्थात् GDP 8,605.5 बिलियन डॉलर था।

♦ प्रति व्यक्ति GDP 6,427 डॉलर थी।

♦ 2007-17 के दौरान संगृहीत राजस्व कर कुल GDP का 11% था।

♦ 2017 में, भारत की GDP प्रति व्यक्ति विकास दर 5.4% थी।

♦ 2017 में प्राप्त कुल राजस्व कर GDP का 11% था।

♦ 2012-17 की अवधि के दौरान वित्तीय क्षेत्र द्वारा दिया गया घरेलू ऋण GDP का 75% था।

 

कार्य एवं रोज़गार :-

♦  रोज़गार प्राप्त जनसंख्या का अनुपात (15 या उससे अधिक आयु वर्ग की कुल आबादी में कार्यरत लोगों का कुल प्रतिशत) 51.9% है।

♦ श्रम बल भागीदारी दर (योग्य तथा काम करने के इच्छुक लोग) 53.8% है।

♦ कुल नियोजित जनसंख्या में से 42.7% लोग कृषि क्षेत्र में तथा 33.5% सेवा क्षेत्र में कार्यरत हैं।

♦ कुल श्रम शक्ति में से 3.5% लोग बेरोज़गार हैं जिसमें युवाओं का अनुपात (15-24 वर्ष की आयु) 10.5% हैं।

♦ 27.5% युवा न तो नौकरी करते हैं और न ही स्कूल जाते हैं।

♦ कुल नियोजित लोगों में से 42.9% कार्यरत लोग गरीब हैं, अर्थात वे दिन में 3.10 डॉलर से भी कम पर काम कर रहे है।

♦ वैधानिक पेंशन योग्य आयु की आबादी वाले केवल 24.1% ही पेंशन प्राप्त कर रहे हैं, जिस कारण वृद्धावस्था में जी रहे लोगों का एक बड़ा हिस्सा दयनीय स्थिति में जीवन यापन कर रहा है।

 

मानव सुरक्षा :-

♦ 5 वर्ष या उससे कम उम्र के 80% बच्चे ही भारत में जन्म से पंजीकृत हैं, जबकि भारत के पड़ोसी देश भूटान में जन्म के समय पंजीकरण की दर 100% है।

♦ भारत में लगभग 806 हज़ार आंतरिक रूप से विस्थापित लोग निवास करते हैं।

♦ भारत में प्राकृतिक आपदा के कारण हर साल प्रति दस लाख में से 461 लोग बेघर हो जाते हैं।

♦ प्रत्येक एक लाख लोगों में से 33 केवल लोगों को ही सज़ा हो पाती है, जो भारत में निम्न सजा दर (Low Conviction Rate) को प्रदर्शित करता हैं।

♦ भारत में प्रति एक लाख की जनसंख्या पर 14.2 महिलाएँ तथा 17.9 पुरुष आत्महत्या करते हैं।

 

मानव एवं पूंजी की गतिशीलता :-

पूंजी (Capital) :-

♦  व्यापार (आयात और निर्यात) एवं FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) भारतीय GDP का 40% हैं, शुद्ध प्रवाह भारतीय GDP का 1.5% है।

♦  वर्ष 2016 की सकल राष्ट्रीय आय में आधिकारिक विकास सहायता (Official Development Assistance-ODA) का योगदान 0.1% है।

♦ वर्ष 2017 की GDP में में प्रेषण और अंतर्वाह (Remittances and inflows) का योगदान 2.66% था।

 

मानव :-

♦  भारत की शुद्ध प्रवासन दर प्रति हज़ार लोगों पर -0.4 है, यानी भारत में प्रवासियों का अंतर्ग्रहण (intake of migrants) जनसंख्या के अनुसार 0.4% है।

 

संचार :-

♦  2016 में कुल जनसंख्या का 29.5% लोगों ने इंटरनेट का उपयोग किया तथा 100 में से 85.2 लोगों ने मोबाइल फोन का उपयोग किया, जो 2016 के दौरान भारत में शानदार डिजिटल पैठ तथा डिजिटल आर्किटेक्चर में लोगों की अच्छी जानकारी को दर्शाता है।

♦ भारत में 2010 से 2016 के बीच मोबाइल के उपयोग में 39.4% का सकारात्मक बदलाव देखा गया।

 

HDR 2018 का मूल्यांकन (मानव विकास रिपोर्ट) :

  • पूरे राष्ट्र में विकास संकेतकों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा सकती है लेकिन मानव विकास की गुणवत्ता में ह्रास देखा गया है।
  • प्रगति रैखिक या प्रत्याभूत (Guaranteed) नहीं है, तथा संकट एवं चुनौतियाँ इसक लाभ या वृद्धि को पलट सकती हैं।
  • महिलाओं और पुरुषों के मध्य अपनी पूर्ण क्षमताओं के उपयोग को लेकर काफ़ी असमानताएँ हैं।
  • पर्यावरणीय ह्रास तथा जलवायु परिवर्तन को हल किये बिना मानव विकास की प्रगति को बनाए नहीं रखा जा सकता है।

 

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